अब ज़िंदगी के रास्ते आते नहीं समझ
ये सोच कर घबरा रहा जाएंगे अब किधर
कमबख्त मौत भी हमसे, बेवफाई कर रही
जाता हूं जिस तरफ भी,आती नहीं उधर
मंझधार में फंसा हुआ बस डूबने को हूं
कश्ती भी दूर दूर तक आती नहीं नज़र
सब जा रहें हैं छूटते,रहबर जो साथ थे
तन्हाइयों ने दिल मेरा तोड़ा है इस कदर
अभिव्यक्ति की आवाज़ भी अनसुनी सी है
मालिक हमारा दे रहा,मीठा सा ये जहर
ऋषिराज अभिव्यक्ति ❤️
19/08/2022