दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Wednesday, August 22, 2018

यूं ही हालात करवट बदलते रहे
हम न बदले मगर वो बदलते रहे
ना था मेरा कुसूर,और न कोई ख़ता
भीगते हम रहे ,वो बरसते रहे
तूफां,कई मर्तबा तो मेरे घर पे आये
हम भी बसते रहे फिर उजड़ते रहे
तुमको रुसवा करुं ऐसी मर्जी नही
इस वजह से लबों को हम सिलते रहे
ये और बात है कि अब भी खामोश हूं,
लेकिन सीने में शोले दहकते रहे
महफिलों में जाम जब कहीं भी चले
कुछ महकते रहे ,कुछ बहकते रहे
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
   प्रात:7:30 बजे 28/05/2018

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