मेरे मालिक तू अपना पता दे दे
मुझको जीने की कोई वजह दे दे
उम्रभर तुझको ढूंढा किये हर जगह
मेरे दामन में निगाहे करम दे दे
ना ऐशो आराम मांगा कभी
ना शोहरत औ नाम मांगा कभी
जुस्तजू ही रही तेरे दीदार की
रुबरु अपने ला एक रहम दे दे
है कौन यहां जो मेरी
पेशानी को पढ़ सके
कुछ दर्द हम कहें,
कुछ वो समझ सकें
सब अपनी-अपनी
फिक्रों में उलझे हुऐ से हैं
है कौन जो अब अनकही
पीड़ा समझ सके
खुदगर्जियों के दौर में
दम तोड़ती उम्मीद है
मौला मेरे ,अब तू मेरा
दुखडा़ समझ सके
मुझको जीने की कोई वजह दे दे
उम्रभर तुझको ढूंढा किये हर जगह
मेरे दामन में निगाहे करम दे दे
ना ऐशो आराम मांगा कभी
ना शोहरत औ नाम मांगा कभी
जुस्तजू ही रही तेरे दीदार की
रुबरु अपने ला एक रहम दे दे
है कौन यहां जो मेरी
पेशानी को पढ़ सके
कुछ दर्द हम कहें,
कुछ वो समझ सकें
सब अपनी-अपनी
फिक्रों में उलझे हुऐ से हैं
है कौन जो अब अनकही
पीड़ा समझ सके
खुदगर्जियों के दौर में
दम तोड़ती उम्मीद है
मौला मेरे ,अब तू मेरा
दुखडा़ समझ सके
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