है ज़िद ये आंधियों की
वो हमारा घर उजाड़ेगी
मेरा गुरूर है कि वो
हमारा क्या बिगाड़ेंगी
लगा लें ज़ोर कितना भी
न तिनका उड़ने देंगे हम
मुझे रब़ का सहारा है
उन्हें चलने न देंगे हम
कि जिनका नामलिखने
से पत्थर भी तैर जाते हैं
निगाह जिनकी तिरछी हो
तो समंदर सूख जाते हैं
नहीं डरता हूँ इस कारण
मैं आंधी और बवंडर से
मैं उसका नाम रटता हूँ
तो बवंडर काँप जाते हैं
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
03/08/2016 सायं 7 बजे
वो हमारा घर उजाड़ेगी
मेरा गुरूर है कि वो
हमारा क्या बिगाड़ेंगी
लगा लें ज़ोर कितना भी
न तिनका उड़ने देंगे हम
मुझे रब़ का सहारा है
उन्हें चलने न देंगे हम
कि जिनका नामलिखने
से पत्थर भी तैर जाते हैं
निगाह जिनकी तिरछी हो
तो समंदर सूख जाते हैं
नहीं डरता हूँ इस कारण
मैं आंधी और बवंडर से
मैं उसका नाम रटता हूँ
तो बवंडर काँप जाते हैं
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
03/08/2016 सायं 7 बजे
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