जीवन में रिश्तों पर कैसे
काले बादल छाये हैं
डिजीटल हो गई सारी दुनिया
रिश्ते हुऐ पराये है
मन में चाहे जहर भरा हो
फेसबुक पे लाईक तो बनता है
व्हाटस अप पे ही हाय हेलो
कर सबके सब बौराये हैं
पहले फोन बहुत मंहगा था
फिर भी 'बात' हो जाती थी
पर फोन हुआ सस्ता जबसे
आवाज़ नही सुन पाये हैं
सब अपनी दुनिया में व्यस्त
हैं,किसको कौन पूछता अब
ऐसी डिजीटल दुनिया में तो
मेरा मन घबराये है
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
सांय:7:30 बजे 18/04/2018
काले बादल छाये हैं
डिजीटल हो गई सारी दुनिया
रिश्ते हुऐ पराये है
मन में चाहे जहर भरा हो
फेसबुक पे लाईक तो बनता है
व्हाटस अप पे ही हाय हेलो
कर सबके सब बौराये हैं
पहले फोन बहुत मंहगा था
फिर भी 'बात' हो जाती थी
पर फोन हुआ सस्ता जबसे
आवाज़ नही सुन पाये हैं
सब अपनी दुनिया में व्यस्त
हैं,किसको कौन पूछता अब
ऐसी डिजीटल दुनिया में तो
मेरा मन घबराये है
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
सांय:7:30 बजे 18/04/2018
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