कल रात में,ख्वाबों में
वो फिर से आ गये
माने नहीं,जख्मी जिग़र
फिर से दुखा गये
रिसते हुऐ जख्मों को
फिर हौले से कुरेदा
कुछ दर्द जब मुझको
हुआ तो मुस्कुरा गये
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
सांय:7:30 बजे 30/04/2018
वो फिर से आ गये
माने नहीं,जख्मी जिग़र
फिर से दुखा गये
रिसते हुऐ जख्मों को
फिर हौले से कुरेदा
कुछ दर्द जब मुझको
हुआ तो मुस्कुरा गये
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
सांय:7:30 बजे 30/04/2018
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