ऋणी रहेगा ये जीवन
जिसको जीवन का दान दिया
गर्भ लहू से सींच सींच कर
प्राणों का संचार दिया
सृष्टि रचयिता हो जननी
नतमस्तक तुमपे होता हूं
मैं सदा तुम्हारा बालक हूं
हर क्षण मां मां कहता हूं
अनगिनत भूल हुई मुझसे
पर सदा तुम्हीं ने माफ़ किया
अंतर्मन के अंधियारे को
तूने ममता से साफ किया
गर देव मनुज बन के आये
कौशल्या बन आधार दिया
श्री राम तेरी गोदी खेले
वात्सल्य लुटा के लाड़ किया
मैं मातृ दिवस पर शीश झुका
तेरा अभिनंदन करता हूं
सारे जग की माताओं की
मैं चरण वंदना करता हूं
ऋषिराज 'अभिव्यक्ति'
10मई 2020 प्रातः 8बजे
जिसको जीवन का दान दिया
गर्भ लहू से सींच सींच कर
प्राणों का संचार दिया
सृष्टि रचयिता हो जननी
नतमस्तक तुमपे होता हूं
मैं सदा तुम्हारा बालक हूं
हर क्षण मां मां कहता हूं
अनगिनत भूल हुई मुझसे
पर सदा तुम्हीं ने माफ़ किया
अंतर्मन के अंधियारे को
तूने ममता से साफ किया
गर देव मनुज बन के आये
कौशल्या बन आधार दिया
श्री राम तेरी गोदी खेले
वात्सल्य लुटा के लाड़ किया
मैं मातृ दिवस पर शीश झुका
तेरा अभिनंदन करता हूं
सारे जग की माताओं की
मैं चरण वंदना करता हूं
ऋषिराज 'अभिव्यक्ति'
10मई 2020 प्रातः 8बजे
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