खाक़ होके राख़ में
मिल जायेंगे कभी
हम भी अजीब शख्स
हैं,याद आयेंगे कभी
तुम दो घड़ी के वास्ते
ग़र साथ में चलो
हम भी तुम्हारे काम तो
आ जायेंगे कभी
ग़र मुस्कुरा के देखलो
वादा रहा सनम
तेरी गली में सजदा
करने आयेंगे कभी
तुमने सुकून से हमें
मरने भी न दिया
हमको भी ये कसम
है कि रुलायेंगे कभी
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
सायं:10:00 बजे 30/08/2018
मिल जायेंगे कभी
हम भी अजीब शख्स
हैं,याद आयेंगे कभी
तुम दो घड़ी के वास्ते
ग़र साथ में चलो
हम भी तुम्हारे काम तो
आ जायेंगे कभी
ग़र मुस्कुरा के देखलो
वादा रहा सनम
तेरी गली में सजदा
करने आयेंगे कभी
तुमने सुकून से हमें
मरने भी न दिया
हमको भी ये कसम
है कि रुलायेंगे कभी
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
सायं:10:00 बजे 30/08/2018