दिल की अभिव्यक्ति

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दिल की अभिव्यक्ति

Sunday, March 4, 2012

हद से ज्यादा

हद से ज्यादा



हद से ज्यादा मोहब्बत सज़ा बन गई

ज़िन्दगी एक कड़वी दवा बन गई !

इसको जितना पिया मर्ज़ बढता गया

आरज़ू मेरे तन का कफ़न बन गई !!

वो न बदले ये दुनिया बदलती गई

लब से फिर भी दुआएं निकलती गई !

आसुओं की जो बरसात होने लगी

देह के साथ मन भी भिगोने लगी

अबकी पतझड़ में सावन दिखाई पड़ा

बिजलियां मेरे दिल पे कड़कती गई

हम भी खामोश दिल में सिसकते रहे !

मुफलिसी की हकीकत अदा बन गई !


ऋषि राज शंकर " मुफलिस"

०५/०३ २०१२ प्रातः ८:४५






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