दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Saturday, July 4, 2020

लहू बहाने को सरहद पर
जाने को तैयार हैं
जान लुटा दें भारत मां पर
दिल से हम तैयार हैं
 हम भी पहरेदार हैं, हां हम भी पहरेदार हैं
1)कोटि नमन है मातृभूमि को
जिसकी रोटी खाते हैं
वक्त पड़े तो शीश कटा दें
बिल्कुल नहीं लजाते हैं
चुन चुन कर मारें उनको जो
छिपे हुए गददार हैं
हम भी पहरेदार हैं, हां हम भी पहरेदार हैं
2)कफ़न तिरंगे का बन जाये
हर सैनिक मतवाला है
देश का मस्तक ना झुकने दें
ऐसा व्रत ले डाला है
भगवा चुनरी ओढ़ के तन पे
लड़ने को तैयार हैं
हम भी पहरेदार हैं, हां हम भी पहरेदार हैं
दुश्मन सेना हट पीछे अब
ख़ून मेरा ललकार रहा
धोखा देकर पीठ के पीछे
निर्दोषों को मार रहा
कसम उठा ली महादेव की तलवारों में धार है
हम भी पहरेदार हैं, हां हम भी पहरेदार हैं
 ऋषिराज शंकर 'अभिव्यक्ति'

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