दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Thursday, February 12, 2009

गज़ल
हर दर्द कलेजे में छिपाता चला गया
फिर भी वफ़ा का साथ निभाता चला गया
दीवारें खिँच रहीं थी जब नफ़रत के दौर में
में उनको मोहब्बत से गिराता चला गया !!
हर शख्स परेशाँ है अब पैसे की दौड़ में
मैं मुफलिसी से इश्क़ निभाता चला गया
बेइंताही भीड़ है जीवन में गमों की
हसँता हुआ मैं जग को हँसाता चला गया !!
जीवन में अन्धेरे घिरे जब आस न बची
हर साँस में, मैं आस जगाता चला गया !!
उम्मीद का दामन पकड़िये और ना छोड़िये
ये बात पते की मैं बताता चला गया !!
ॠषि राज शंकर“मुफ़लिस”

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