दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Friday, February 13, 2009

अगला जन्म ?

अब ज़िन्दगी की नाव डूबी जा रही मँझधार में
हे प्रभु, कुत्ता बनाना मुझको अगली बार में !!
गर दुम हिलाना ज़िन्दगी तो क्यों न हम कुत्ता बनें ?
मौन रह कर रोटी खाना तो क्यों न हम कुत्ता बनें ?
विरोध कि अभिव्यक्ति मुश्किल हो रहि संसार में
हे प्रभु, कुत्ता बनाना मुझको अगली बार में !!
श्वान की किस्मत पे मुझको रश्क़ अब आने लगा
बे इरादा दुम हिले अब भाव ये भाने लगा
खा रहा मख्ख्नन और रोटी, घूमता है कार में
हे प्रभु, कुत्ता बनाना मुझको अगली बार में !!
भौंकनें के भाव मे भी यस सर आयेगा जब
खुश रहे मालिक हमारा मीट खिलवायेगा तब
बारह सालह् ज़िन्दगी कट जायेगी आराम में
हे प्रभु, कुत्ता बनाना मुझको अगली बार में !!
हे प्रभु, कुत्ता बनूँ वरदान ये दे दीजिये
खूब मोटी खूब लम्बी पूँछ ऐसी दीजिये
दुम सदा हिलती रही साहब की पुचकार में
हे प्रभु, कुत्ता बनाना मुझको अगली बार में !!
हे प्रभु,आदमी की जात में कुत्ते के गुण दे दीजिये
नीली आँखे झबरे बाल दुम बडी दे दीजिये
भौंक पायें या ना पायें हम तो इस सँसार में
पर हे प्रभु, कुत्ता बनाना मुझको अगली बार में !!
कुत्ता बनेगा अब गुरु चेला बनेगा आदमी
दुम हिलाने की कला कुत्ते से सीखे आदमी
ये कला ऐसी हे जो जाती नहीं बेकार में
हे प्रभु, कुत्ता बनाना मुझको अगली बार में !!
दुम हिलाना क्वालिटी है इस पर भी सर्किल बने
कौन कितना दुम हिलाये शोध का मैटर बने
शोध पूरा हो न हो पर दुम हिले रफ़्तार में
पर हे प्रभु, कुत्ता बनाना मुझको अगली बार में !! ॠषि राज शंकर“मुफ़लिस”

1 comment:

  1. Respected Sir,
    This one is my favorite poem because the humor presented in this poem is appreciable.

    Shivani Tripathi
    10 B

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