दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Sunday, February 15, 2009

दूरी ?

पापा कितनी दूर गये तुम, कैसे तुम्हें बुलायें हम
हर पल तेरी याद सताती, किसको हाल सुनायें हम !!
तेरी यादों का इक झोंका, हर पल हमें रुलाता है
तेरी बाहों का वो झूला ,अब न हमें झुलाता है
ना जाने तुम क्यों रुठे हो,कैसे तुम्हें मनायें हम
पापा कितनी दूर------------------------------
सूनी आखों से कमरे की, छ्त को देखा करती हूँ
हर क्षण हर कोने में घर के तुमको ढूंढा करती हूँ
छुपा-छुपी का खेल ये देखो अब तो खेल न पायें हम
पापा कितनी दूर------------------------------
तेरी यादों का मेला जब, अंगनाई में लगता है
बिंदिया माँ के शीश ना सोहे,माथा सूना लगता है
तुम मेरे जीवन के प्राण, तेरे बिन घबरायें हम
पापा कितनी दूर------------------------------
काल चक्र के क्रूर करों नें तुमको हमसे छीन लिया
ईश्वर को भी लाज ना आई, ये कैसा अपराध किया
जब ईश्वर ही अपराधी हो, किसको सज़ा सुनायें हम
पापा कितनी दूर------------------------------
ॠषि राज शंकर“मुफ़लिस”
(19/01/2004)

No comments:

Post a Comment