क्यों हर इक बात पे
तुनक के रूठ जाते हो
अदा कैसी है ये जो
हर दफा़ दिखाते हो
सजा ऐ मौत भी इक
बार दी ही जाती है
मगर हर मर्तबा आसूं
को क्यूं बहाते हो
तुम्हारे नाजो़ सितम
पलकों पे बिठाये हमने
तो क्यूँ हर इक बात पे
मुफलिस को यूं रुलाते हो
♻♻♻♻♻♻♻
तुनक के रूठ जाते हो
अदा कैसी है ये जो
हर दफा़ दिखाते हो
सजा ऐ मौत भी इक
बार दी ही जाती है
मगर हर मर्तबा आसूं
को क्यूं बहाते हो
तुम्हारे नाजो़ सितम
पलकों पे बिठाये हमने
तो क्यूँ हर इक बात पे
मुफलिस को यूं रुलाते हो
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