दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Friday, August 5, 2016

बादल भी शरारती होते जा रहे हैं अब
गरजते हैं मेरे घर पे,बरसते हैं कहीं और
वफादारी के मायने ,
भी बदलते यूं जा रहे
कुछ दोस्त आस्तीनों में,
अब खंजर छिपा रहे

तेरी निगाह ने मुझको
यूं गिरफ्तार कर लिया
मैने कुछ इस तरह से
आज इफ्तार कर लिया
ऋषि राज शंकर"मुफलिस"
४ जुलाई २०१६ सायं ७;१०
🔛🔛🔛🔛🔛🔛🔛🔛

No comments:

Post a Comment