बादल भी शरारती होते जा रहे हैं अब
गरजते हैं मेरे घर पे,बरसते हैं कहीं और
गरजते हैं मेरे घर पे,बरसते हैं कहीं और
वफादारी के मायने ,
भी बदलते यूं जा रहे
कुछ दोस्त आस्तीनों में,
अब खंजर छिपा रहे
भी बदलते यूं जा रहे
कुछ दोस्त आस्तीनों में,
अब खंजर छिपा रहे
तेरी निगाह ने मुझको
यूं गिरफ्तार कर लिया
मैने कुछ इस तरह से
आज इफ्तार कर लिया
ऋषि राज शंकर"मुफलिस"
४ जुलाई २०१६ सायं ७;१०
🔛🔛🔛🔛🔛🔛🔛🔛
यूं गिरफ्तार कर लिया
मैने कुछ इस तरह से
आज इफ्तार कर लिया
ऋषि राज शंकर"मुफलिस"
४ जुलाई २०१६ सायं ७;१०
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