वो कलाम थे मगर बडे़ कमाल थे
यकीनन शख्स वो इक बेमिसाल थे
उनके चेहरे पे इक अजब़ सा नूर था सच्चाई सादगी की इक मिसाल थे
वो बुलंदियों के बाद भी ज़मीं पे रहे
हमें गुरूर है वो इस धरा के लाल थे
कलाम साहब को मेरा सलाम
यकीनन शख्स वो इक बेमिसाल थे
उनके चेहरे पे इक अजब़ सा नूर था सच्चाई सादगी की इक मिसाल थे
वो बुलंदियों के बाद भी ज़मीं पे रहे
हमें गुरूर है वो इस धरा के लाल थे
कलाम साहब को मेरा सलाम
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