दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Friday, August 5, 2016

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
मेरे ख्वाबों में ए हुजू़र
आतेजाते रहो
कुछ तो हक़ दोस्ती
का निभाते रहो
तुम्हें कुछ याद तो होंगी
वफा़ की कस्में भी
उन्ही कसमों का कर्जा
चुकाते रहो
गिला नहीं कि न मिल सके
हम तुम इस जनम
बस ख्वाबों में यूं ही तुम
मुस्कुराते रहो
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ऐ सुकूं, मैं मुद्दतों से
तुम्हे ढूंढता रहा
मंदिर में,मस्जि़दों में
सर फोड़ता रहा
क्या ख़बर थी तुम मिलोगे
सांस थम जाने के बाद
अब जाके तुम मिले भी
तो दो गज़ कफ़न के बाद
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