दिल की अभिव्यक्ति

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दिल की अभिव्यक्ति

Thursday, February 18, 2010

अनुशासन

ख़ूब पटाख़ा फोड़े लरिका, ढूंढ- ढूंढ मास्टर पगुराये
लिये तलाशी धर-धर हारे, फिर भी लरिका दिये बजाये
सुबह शाम तक बम को ढूढे, फिर भी इक्को ढूंढ न पाये
औ बित्ती-बित्ती लरिका देख़ो,सब टीचरन का नाच नचाये॥
ऊपर फूटे नीचे फूटे, कुल बिल्डिंगवा दिये हिलाये
कौन ख़ुशी मा तुम बम फोड़े,जब तुम नंबर जीरो पाये
पहले सौ में सौ तुम लाओ, फिर हम बम फुटवाउंगा
तब जाकर कोई बात बनेगी, तुम्हरी ख़ुशी मनाउंग॥
विद्यालय विद्या का मंदिर, इहे मा विद्या ज्योति जलावा
बिना बात के बम न फोड़ो, पढ़े लिख़े मा ध्यान लगावा
अनुशासन मा रहो हमेशा, विद्यालय का मान बढ़ाओ
गर्वित मस्तक रहे तुम्हारा, अच्छा- अच्छा नंबर पाओ॥
देता हूँ आशीष तुम्हें ये, अच्छे नागरिक बन जाओ
सत्कर्मों की करो रोशनी, मानवता का दीप जलाओ
तुमको कसम सरस्वती की है,एको पटाख़ा अब न बाजे
कउनो अगर पटाख़ा छुड़िहे, विद्या उसके सिर से भागे॥

ॠषि राज शंकर“मुफ़लिस”
13/11/2008

1 comment:

  1. बहुत सुंदर ग़ज़ल है |
    आपको बहुत - बहुत धन्यवाद ऋषिराज जी |

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