दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Thursday, February 18, 2010

हासिल?

गर्भ पर भी खोज काफी कर चुका
भूगर्भ सारा खोल कर तू पढ़ चुका
आकाश में स्वछ्न्द विचरण कर चुका
पर म्रत्यु पे अपनी विजय न कर सका
जान ना पाया रहस्य तू म्रत्यु के आधार का
म्रत्यु तो निश्चित अटल है नियम है संसार का
खोज डाला इस जहाँ का कोना कोना
खोज न पाया मगर तू मन का कोना
पढ़ तो ली पुस्तकें मगर हासिल न पाया
आत्मा की अभिव्यकति को ना जान पाया
जान लीं बातें बहुत सी ञान और विञ्यान की
है ज़रुरत आज निज़ व्यकितत्व के पहचान की॥

ॠषि राज शंकर“मुफ़लिस”
20/08/2008

1 comment:

  1. its amazing !!!!! sir,no one can compete u
    anya

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