दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Thursday, February 18, 2010

आसां ?

कहानी दिल की सुनाना कोई आसां नहीं
दिल को, दिल से भुलाना कोई आसां नहीं
गुज़र तो जाती है, सबकी जहाँ में कैसे भी
गमों की हद से गुज़रना कोई आसां नहीं ॥
लगी है आग कलेजे में उम्र भर के लिये
किसी के ख्वाब जलाना कोई आसां नहीं
दिया तूफान में फिर भी जलाये बैठे हैं
मौत से दिल को लगाना कोई आसां नहीं॥
चेहरे को आइने से छुपाओगे कब तलक
गुनाह खुद से छिपाना कोई आसां नहीं
दीवारें घर की गिराना तो है आसां बहुत
खून से नींव बनाना कोई आसां नहीं॥

ॠषि राज शंकर“मुफ़लिस”
20/06/1996

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