हमने जीवन को कुछ ऐसे रंग बदलते देखा है*
*सुबह चहकते,शाम बिलखते रात तड़पते देखा है*
*मायूसी और अंधियारे में सूरज उगते देखा है*
*चटक धूप में भी सावन की बूंद बरसते देखा है*
*कब क्या है,क्या हो जाए इसकी कोई थाह नहीं*
*बड़े बड़े धन्नासेठों को तिल-तिल मरते देखा है*
*भूख,गरीबी,मंहगाई हों , तीनों जिसकी महबूबा*
*ऐसे जीवन को भी मैंने ,हरदम हंसते देखा है*
*नदियां ऊपर से हंसती हैं कल-कल कल-कल करती हैं*
*गहराई में कब रोती हैं, बोलो किसने देखा है*
*जैसी करनी वैसी भरनी इस जीवन का सार यही*
*अहंकार का अंत बुरा है ,दस सिर कटते देखा है*
*हमने जीवन को कुछ.....
*बांध के मुठ्ठी जन्म लिया है,दुनिया में कुछ करने को*
*अंत समय में जाते सबको हाथ पसारे देखा है*
*सुबह चहकते शाम बिलखते...*
*"अभिव्यक्ति" जो ना हो पाई उसको भी तुम पढ़ लेना*
*अक्सर सूखी आंखों को भी हमने रोते देखा है*
*ऋषिराज "अभिव्यक्ति"*❤️
02/06/2023
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