दिल की अभिव्यक्ति

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Thursday, September 28, 2023

निष्प्राण देह और घर का आंगन

 देह मेरी निष्प्राण पड़ी थी

मेरे घर के आंगन में

एक अजब सी खामोशी थी

मेरे घर के आंगन में

कुछ परिजन खामोश खड़े थे

कुछ व्हाट्सअप में डूब गए थे

कुछ अपने थे बिलख रहे जो

मेरे घर के आंगन में

तिनका तिनका जो जोड़ा था

अपने खून पसीने से

सबकुछ अपना समझ लिया था

मैंने अपने जीवन में 

वो सब कुछ अब छूट गया था

मेरे घर के आंगन में

गिले शिकवे भी तब तक होते

जब तक देह में सांस है

ना कोई उम्मीदें अब हैं

ना कोई भी आस है

पंछी पिंजरे से निकल चुका अब

मेरे घर के आंगन में

जल्दी में ही सब लगते हैं

शव घर से ले जाने को

रामनाम सत्य कहके चल दिए

अंतिम क्रिया कराने को

जल्दी जल्दी हुई मुखाग्नि

सब अपने घर को भागे

केवल परिजन लौट रहे थे 

मेरे घर के आंगन में

कोई वसीयत खोज रहा था

कोई पासबुक ढूंढ रहे

किसको मैंने क्या बांटा है

सब अपना हित खोज रहे

असली चेहरे सबके दिख रहे

जिनको अपना समझा था

देख रही थी मेरी आत्मा

मेरे घर के आंगन में 

ये सब मैंने क्यूं लिखा है

समझ सको तो, समझ सको

केवल प्रभु अंतिम साथी है

बस उससे ही प्रेम करो

कुछ भी नहीं हमारा अपना

मेरे घर के आंगन में


ऋषिराज अभिव्यक्ति ❤️

25/10/2022

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