दिल की अभिव्यक्ति

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Thursday, September 28, 2023

ये ज़िंदगी है क्या इक झमेला लगा

 *ये जीवन बस लोगों का मेला लगा*

*फिर भी हर इक शख्स अकेला लगा*

*अपनी अपनी ही फिकरों में उलझे सभी* 

*ये ज़िंदगी है क्या इक झमेला लगा*


*ना फुर्सत किसी को कि तुमको सुनें*

*अपने अपने सभी ताने बाने बुनें*

*रिश्ते नातों का कोई नहीं मोल है*

*खामखां अपना सिर हम,क्यूं इसमें धुनें*


*ख्वाहिशों में है लिपटी हरइक ज़िंदगी* 

*हारता आदमी ,भागती जिंदगी*

*लेने देने का व्यापार चलता यहां*

*बड़ी सौदागर सी हो गई ज़िंदगी* 


*जोड़ने और घटाने में सब व्यस्त हैं*

*अपनी दुनिया में देखो जिसे मस्त है*

*यहां दर्द है मगर कोई मलहम नहीं*

*आदमी अपने ही दर्द से पस्त है*

 *ऋषिराज "अभिव्यक्ति"*❤️

28/11/2022 10:00 am


जब भी मिलते हैं वो इक ज़ख़्म नया देते हैं

इतनी बेशर्मी से वो ,मेरा प्यार भुला देते हैं

नासमझ इतने भी नहीं हैं,कि दर्द ना समझे

बस वो मेरे दर्द का एहसास भुला देते हैं 

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