एक प्रश्न अनुभव का
अब तक समझ ना आया
चिरनिद्रा का अनुभव
कोई बता ना पाया
जाने कैसा लगता होगा
मृत्यु निकट खड़ी हो जब
किस क्षण सांसें रुक जाएंगी
कोई समझ ना पाया अब
जीवन भर के पाप
याद आते ही होंगें
मन ही मन जाने वाले
पछताते होंगे
मृत्यु दबे पांव
जब आती होगी
ज़िंदगी खामोश
पड़ी पछताती होगी
कर्मों का फल सोच
मनुष्य घबराता होगा
नर्क कल्पना से ही
जीव पछताता होगा
रिश्तों का दर्द अंत समय में
टीस मारता होगा
झूठी दुनिया से ये मन
फिर दूर भागता होगा
इसीलिए कहता हूं
सबसे प्यार करो
जीवन अदभुत है
इसका श्रंगार करो
अंत समय फिर नहीं
तुम्हें पछताना होगा
ये तो सच है सबको
इक दिन जाना हो
गा
ऋषि राज शंकर "#अभिव्यक्ति"
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