उमड़ चुका है अब सावन इन आँखों मे
रोको मत ,इन अश्कों को बह जाने दो
खामोशी के साथ जुबां को सीकर तुम
कह ना सके जो लफ्जो़ं में कह जाने दो
समय सगा सा नहीं किसी का कभी हुआ
नई इबारत फिर से अब लिख़ जाने दो
रोको मत ,इन अश्कों को बह जाने दो
खामोशी के साथ जुबां को सीकर तुम
कह ना सके जो लफ्जो़ं में कह जाने दो
समय सगा सा नहीं किसी का कभी हुआ
नई इबारत फिर से अब लिख़ जाने दो
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