फर्श से अर्श तक जाने में
वक्त लग जायेगा
पर गुरूर एक ही झटके
में सिर चढ जायेगा
उसकी रहमत का नजारा
जिस वक्त भी समझेगा तू
उस खुदा की बन्दगी में
तेरा सिर झुक जायेगा
इस जमीं से उस फलक तक
बस खुदा का नूर है
आदमी है इक प्यादा
वक्त से मजबूर है
द्रोपदी सा तुम पुकारोगे
उसे जिस रोज तुम
क्रष्ण बनके वो तुम्हारी
लाज रखने आयेगा
मुफलिसी के वक्त केवल
साथ मेरे 'वो' रहा
मेरी अंगुली को पकड के
वो मेरा रहबर रहा
कर रहम मौला मेरे
कहके जब चिल्लाओगे
बन फरिश्ता वो तुम्हारी
पीर हरने आयेगा
ऋषि राज शंकर "मुफलिस"
९ बजे रात्रिः ७ अक्तूबर २०१५
वक्त लग जायेगा
पर गुरूर एक ही झटके
में सिर चढ जायेगा
उसकी रहमत का नजारा
जिस वक्त भी समझेगा तू
उस खुदा की बन्दगी में
तेरा सिर झुक जायेगा
इस जमीं से उस फलक तक
बस खुदा का नूर है
आदमी है इक प्यादा
वक्त से मजबूर है
द्रोपदी सा तुम पुकारोगे
उसे जिस रोज तुम
क्रष्ण बनके वो तुम्हारी
लाज रखने आयेगा
मुफलिसी के वक्त केवल
साथ मेरे 'वो' रहा
मेरी अंगुली को पकड के
वो मेरा रहबर रहा
कर रहम मौला मेरे
कहके जब चिल्लाओगे
बन फरिश्ता वो तुम्हारी
पीर हरने आयेगा
ऋषि राज शंकर "मुफलिस"
९ बजे रात्रिः ७ अक्तूबर २०१५
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