दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Monday, March 25, 2019

फर्श से अर्श तक जाने में
वक्त लग जायेगा
पर गुरूर एक ही झटके
में सिर चढ जायेगा
उसकी रहमत का नजारा
जिस वक्त भी समझेगा तू
उस खुदा की बन्दगी में
तेरा सिर झुक जायेगा
इस जमीं से उस फलक तक
बस खुदा का नूर है
आदमी है इक प्यादा
वक्त से मजबूर है
द्रोपदी सा तुम पुकारोगे
उसे जिस रोज तुम
क्रष्ण बनके वो तुम्हारी
लाज रखने आयेगा
मुफलिसी के वक्त केवल
साथ मेरे 'वो' रहा
मेरी अंगुली को पकड के
वो मेरा रहबर रहा
कर रहम मौला मेरे
कहके जब चिल्लाओगे
बन फरिश्ता वो तुम्हारी
पीर हरने आयेगा
     ऋषि राज शंकर "मुफलिस"
      ९ बजे रात्रिः ७ अक्तूबर २०१५

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