दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Monday, March 25, 2019

बहुत देर हो गई,
बरसते बरसते
इन आँखो से आँसू
छलकते छलकते
मगर अपनी जिद में
नहीं तुम भी आये
निकलता रहा दम,
तड़पते तड़पते
निगाहों से कई बार
इतनी पिलायी
कदम लड़खड़ाये,
बहकते बहकते
हमें आरज़ू थी कि
पहलू में तुम हो
जवाँ रात हो फिर
महकते महकते
थी किस्मत हमारी भी
मुफ़लिस के जैसी
बिता डाला जीवन
घिसटते घिसटते
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
   सायं: 5:30 बजे 25/09/2018

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