अपनी हालत पे अब शर्म आने लगी
जिदंगी आईना जब दिखाने लगी
मौत भी अब मयस्सर नहीं हो रही
जाने नज़रें क्यूँ मुझसे चुराने लगी
धड़कने बेवजह किसलिये चल रही
पलकें झुकने लगी, नींद आने लगी
कोई शिक़वा नहीं है किसी से मुझे
जिस्म में रुह अब छटपटाने लगी
है ये वादा मेरा,फिर मिलेंगे कभी
वक्ते रुखसत है अब,जान जाने लगी
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
रात्रि: 11:30 बजे 20/12/2018
जिदंगी आईना जब दिखाने लगी
मौत भी अब मयस्सर नहीं हो रही
जाने नज़रें क्यूँ मुझसे चुराने लगी
धड़कने बेवजह किसलिये चल रही
पलकें झुकने लगी, नींद आने लगी
कोई शिक़वा नहीं है किसी से मुझे
जिस्म में रुह अब छटपटाने लगी
है ये वादा मेरा,फिर मिलेंगे कभी
वक्ते रुखसत है अब,जान जाने लगी
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
रात्रि: 11:30 बजे 20/12/2018
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