दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Monday, March 25, 2019

रुह को सुकून मिल गया
अजमेर जाकर आके
ख्वाजा के दर पे जाके
और झोलियां फैला के
आंगन में उसके हर दम
रहमत बरस रही है
हम भी वहां नहा ले
चादर को इक चढ़ा के
बैचेन दिल को मेरे
उस वक्त करार आया
चौखट पे उनकी आके
सजदे में सिर झुका के
हर शय की मन्नतों को
पूरा वो कर रहे हैं
गरीब नवाज़ हैं वो
झोली को भर रहे है
मुफलिस भी खुश हुआ है
दीदार उनके पा के

ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
 ३१अगस्त २०१४, दोपहरः२ बजे

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