दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Monday, March 25, 2019

मैने मुठ्ठियों से रेत को
फिसलते हुए देखा है
मंजिलों को हाथ से
छिटकते हुए देखा है
वो झूठ कहता है कि
पत्थर का जिग़र रखता हूँ
तन्हा रातों में उसको भी
सिसकते  हुए देखा है

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