दुनिया के रंजोग़म से
हम अब दूर हो गए
तुर्बत(कब्र)में जाके रहने
को मजबूर हो गए
अरसे के बाद नींद
मुकम्मल सी मिली है
शिक़वे गिले जितने भी
थे सब दूर हो गए
हासिल मिला था उम्र
भर का चंद मुठ्ठी खा़क
सब अपनी अपनी फिक्रों
में मशगूल हो गए
'मुफ़लिस' को कभी घर
ना दिया ऐ मेरे खुदा
दो गज़ ज़मीन देके
तुम भी दूर हो गए
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
सायं: 9:00 बजे 31/08/2018
हम अब दूर हो गए
तुर्बत(कब्र)में जाके रहने
को मजबूर हो गए
अरसे के बाद नींद
मुकम्मल सी मिली है
शिक़वे गिले जितने भी
थे सब दूर हो गए
हासिल मिला था उम्र
भर का चंद मुठ्ठी खा़क
सब अपनी अपनी फिक्रों
में मशगूल हो गए
'मुफ़लिस' को कभी घर
ना दिया ऐ मेरे खुदा
दो गज़ ज़मीन देके
तुम भी दूर हो गए
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
सायं: 9:00 बजे 31/08/2018
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