दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Monday, March 25, 2019

साथी कितनी दूर गये की
वापस आना मुश्किल है
हर पल तिल तिल कर जीना
अब उम्र बिताना मुश्किल है||
तेरी यादों की पुरवाई
जब जे़हन में चलती है
नयनों में आँसू की नदियां
तब तब और उमड़ती हैं
बाँध सब्र का कब टूटे
ये समय बताना मुश्किल है||
   साथी कितनी दूर गये....
अक्सर यही सोचता हूँ कि
कुछ तो कह कर जाते तुम
कुछ तो मन के भेद खोलते
कुछ तो राह दिखाते तुम
छोड़ गये यूं बीच भंवर की
पार लगाना मुश्किल है||
     साथी कितनी दूर गये....
सब कुछ पहले ही जैसा
पर तेरी कमी अख़रती है
घर के दर दीवारों पे तेरी
खुश्बू अभी महकती है
कितना भीतर से टूटा हूँ
अभी बताना मुश्किल है||
     साथी कितनी दूर गये....
हर मौसम बेमानी लगता
हर रंग फीका लगता है
दिन तो कैसे ही कट जाता
रात्रि पहर नहीं कटता है
जाने कितनी अब दूरी है
जल्दी मिलना मुश्किल है||
    साथी कितनी दूर गये....
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
   रात्रि:9:30 बजे 29/1/2019

No comments:

Post a Comment