रफ्ता रफ्ता खत्म होती
जा रही है जिंदगी
आखिरी मंजिल के रस्ते
जा रही है जिंदगी
बीतता तो वक्त है कब
तक रहेगा ये गुमां
सच यही है खर्च होती
जा रही है जिंदगी
है हकीकत कब्र जब
क्यूं इस कदर इतरा रहे
साथ अपने इस जहाँ से
कुछ ना ले के जा रहे
ये महल ये शानोशौकत
सब यहीं रह जायेगा
बेवजह दौलत को जोडे़
जा रही है जिंदगी
कौन जाने किस समय
पर मौत का दीदार हो
सामने आकर खडी़ हो
और आँखे चार हो
अलविदा कहने का शायद
वक्त तक भी ना मिले
किस कदर रफ्तार में
यूँ जा रही है जिंदगी
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रात: 6:00 बजे 02/09/2018
जा रही है जिंदगी
आखिरी मंजिल के रस्ते
जा रही है जिंदगी
बीतता तो वक्त है कब
तक रहेगा ये गुमां
सच यही है खर्च होती
जा रही है जिंदगी
है हकीकत कब्र जब
क्यूं इस कदर इतरा रहे
साथ अपने इस जहाँ से
कुछ ना ले के जा रहे
ये महल ये शानोशौकत
सब यहीं रह जायेगा
बेवजह दौलत को जोडे़
जा रही है जिंदगी
कौन जाने किस समय
पर मौत का दीदार हो
सामने आकर खडी़ हो
और आँखे चार हो
अलविदा कहने का शायद
वक्त तक भी ना मिले
किस कदर रफ्तार में
यूँ जा रही है जिंदगी
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रात: 6:00 बजे 02/09/2018
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