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जतन कर इतनी शिद्दत से
कि रब़ मजबूर हो जाये
मिटा के फ़ासले को हर
तुम्हारे पास आ जाये
मेहर जिस रोज़ उसकी
होगी तेरा नूर चमकेगा
ज़माना ख़ुद तुम्हारे पास
आ जाने को तरसेगा
मगर उस रोज़ तुमको कोई
भी ख़्वाहिश नहीं होगी
तुम होगे ऐसी मस्ती में
तेरा हर रोम महकेगा
मज़ा आयेगा उस रोज़
से तुमको फ़क़ीरी में
रुहानी आलम़ होगा तब
तभी मुफ़लिस ये बहकेगा
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
25/09/2016सायं 7 बजे
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
जतन कर इतनी शिद्दत से
कि रब़ मजबूर हो जाये
मिटा के फ़ासले को हर
तुम्हारे पास आ जाये
मेहर जिस रोज़ उसकी
होगी तेरा नूर चमकेगा
ज़माना ख़ुद तुम्हारे पास
आ जाने को तरसेगा
मगर उस रोज़ तुमको कोई
भी ख़्वाहिश नहीं होगी
तुम होगे ऐसी मस्ती में
तेरा हर रोम महकेगा
मज़ा आयेगा उस रोज़
से तुमको फ़क़ीरी में
रुहानी आलम़ होगा तब
तभी मुफ़लिस ये बहकेगा
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
25/09/2016सायं 7 बजे
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