दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Monday, March 25, 2019

बेरुख़ी की हद से ज्यादा यूँ ना जाइये
हो सके तो देख करके मुस्कुराइये
हम तो अपने आप से शर्मिंदा हैं
जाने किस लिए अभी भी ज़िंदा हैं
जितने हो शिकवे गिले दिल से मिटाइये
हो सके तो.......
मेरी इक खता को माफ़ कीजिये
जिंदगी के रंग जी भी लीजिये
प्यार से महकी हवा फिर से चलाइये
हो सके तो.......
बहके बहके मेरे भी हैं अब कदम
थाम लो अब हाथ ,भी मेरे सनम
खुशनुमा मौसम हुआ है गुनगुनाइये
हो सके तो.......
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
   सायं: 9:30 बजे 03/10/2018

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