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आँखों में छिपे बैठे हैं,
सब ख्वाब तुम्हारे
जज़्बात तुम्हारे,अंदाज़ तुम्हारे
वादे बहुत से तेरे मेरे
बीच हुए थे
तुम भूल गए पर मुझे
वो याद हैं सारे
ज़ेहन में अब भी गूंजती
आवाज़ तुम्हारी
होंठों पे मचल जाते हैं
वो नग़मे तुम्हारे
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
04/09/2016 प्रातः 6 बजे
आँखों में छिपे बैठे हैं,
सब ख्वाब तुम्हारे
जज़्बात तुम्हारे,अंदाज़ तुम्हारे
वादे बहुत से तेरे मेरे
बीच हुए थे
तुम भूल गए पर मुझे
वो याद हैं सारे
ज़ेहन में अब भी गूंजती
आवाज़ तुम्हारी
होंठों पे मचल जाते हैं
वो नग़मे तुम्हारे
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
04/09/2016 प्रातः 6 बजे
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