सरे बाजार रुसवा हो
रही थी मेरी मोहब्बत
तुम डबडबाई आखों
से सब देखते रहे
न आगे बढ़के हाथ थामा
न मुंह से कुछ कहा
तुमने वफ़ा के नाम पे
दो लफ्ज़ न कहे
🔜🔜🔜🔜🔜🔜
हम वो नहीं जो गिरगिट
की तरह रंग बदल लें
कपड़ों की तरह दोस्त
बदलना मेरी आदत नहीं
🔛🔛🔛🔛🔛🔛🔛
रंग जाओ मेरे रंग में
तो बात बन जाये
जीने का सलीका मिले
कुछ ढंग आ जाये
🔛🔛🔛🔛🔛🔛🔛
रही थी मेरी मोहब्बत
तुम डबडबाई आखों
से सब देखते रहे
न आगे बढ़के हाथ थामा
न मुंह से कुछ कहा
तुमने वफ़ा के नाम पे
दो लफ्ज़ न कहे
🔜🔜🔜🔜🔜🔜
हम वो नहीं जो गिरगिट
की तरह रंग बदल लें
कपड़ों की तरह दोस्त
बदलना मेरी आदत नहीं
🔛🔛🔛🔛🔛🔛🔛
रंग जाओ मेरे रंग में
तो बात बन जाये
जीने का सलीका मिले
कुछ ढंग आ जाये
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