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ये बेज़ुबान आंसू भी
दिल का हाल कहते हैं
समंदर का ये वो कतरा हैं
जो आँखों में रहते हैं
कभी पलकों में घुट जाते
कभी चुपके से बहते हैं
हर इक लम्हा ये जाने किस
तरह आंखों में भर आते
कभी मातम में बहते हैं
कभी खुशियों में बहते हैं
कई ख़ामोश हो जाते हैं
इनके खौफ के आगे
कोई रोके अगर इनको
ये तब दरिया सा बहते हैं
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
31/08/2016 रात्रि 11बजे
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ये बेज़ुबान आंसू भी
दिल का हाल कहते हैं
समंदर का ये वो कतरा हैं
जो आँखों में रहते हैं
कभी पलकों में घुट जाते
कभी चुपके से बहते हैं
हर इक लम्हा ये जाने किस
तरह आंखों में भर आते
कभी मातम में बहते हैं
कभी खुशियों में बहते हैं
कई ख़ामोश हो जाते हैं
इनके खौफ के आगे
कोई रोके अगर इनको
ये तब दरिया सा बहते हैं
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
31/08/2016 रात्रि 11बजे
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