दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Thursday, September 15, 2016

मुझपे अब़ अपने ज़ुल्म
की बस इंतिहा करो
यूं रुठने से बेहतर है
कि कह दिया करो
ख़ामोशिंया तेरी मुझे
भीतर तक तोड़तीं
है इल्तिज़ा कि दर्द
ऐसा मत दिया करो
है ज़िंदगानी चार दिन
इतना तो समझ लो
शिक़वों गिलों में वक्त
ज़ाया मत किया करो
ऋषि राज शंकर "मुफ़लिस"
12/09/2016अपरान्ह 3बजे
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