दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Friday, September 9, 2016

जर्जर देह पर लदा है
आत्मा का बोझ
किस तरह इस हाल में
जी रहा है आदमी
मुफ़लिसी के दौर में
है ख्वाहिशों का बोझ
फिर भी मुस्करा के कैसे
जी रहा है आदमी
हर सुबह उम्मीद जगती
रात में दम तोड़ती है
फिर नई उम्मीद लेकर
हँस रहा है आदमी
बेइंताही भीड़ में हर
शख्स भागता मिला
जागती आँखों में सपने
भर रहा है आदमी
सर्प विष का अब यहां पे
तोड़ तो मिल जायेगा
क्या करें जब आदमी को
डस रहा है आदमी
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
  04/09/2016 सांय 6 बजे 

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