दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Friday, September 9, 2016

बड़ी आरज़ू थी कि हम साथ चलते
कभी लड़खड़ाते,कभी कुछ संभलते  
कभी तो हमारी मोहब्बत समझतीं
कभी तुम महकती कभी हम बहकते
कई बार  मंज़िल पे जा करके लौटे
कई बार  बिखरे, कई बार टूटे
कई बार दिल को दिलासा दिया है
रहे अरमां दिल में मचलते- मचलते
कई बार खुद को ही धोख़ा दिया है
न जाने कई घूँट कड़वे पिया है
जो तुमसाथहोते,कुछ औ बात होती
कभीतुम समझतीं कभी हम समझते
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
  21/08/2016 सांय 4 बजे 

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