जब़ भी मेरे ज़ेहन में
तेरा ख्याल आया
इक अक्सधुँधला-धुँधला
खुदके आस-पास पाया
अब कौन सा ग़म मिला है
जो मुस्करा रहे हो
पलकों के पीछे किस तरह
आंसू छिपा रहे हो
चेहरा तुम्हारा सब कुछ
बयान कर रहा है
यूं लग रहा है जैसे कि
ज़ख्म अभी हरा है
यूं हाले दिल को मुझसे
अब छिपा न पाओगे
लगता है साथ अपने
तुम मुझको रूलाओगे
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
13/08/2016 रात्रि 8 बजे
तेरा ख्याल आया
इक अक्सधुँधला-धुँधला
खुदके आस-पास पाया
अब कौन सा ग़म मिला है
जो मुस्करा रहे हो
पलकों के पीछे किस तरह
आंसू छिपा रहे हो
चेहरा तुम्हारा सब कुछ
बयान कर रहा है
यूं लग रहा है जैसे कि
ज़ख्म अभी हरा है
यूं हाले दिल को मुझसे
अब छिपा न पाओगे
लगता है साथ अपने
तुम मुझको रूलाओगे
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
13/08/2016 रात्रि 8 बजे
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