नींद आँखों में अब नहीं आती
ख्वाब पलकों पे सज नहीं पाते!
जाने किस मोड़ पे लाई जिंदगी हमको
अंधेरा छाया है,रस्ते नज़र नहीं आते!
दर्द इतना है की कह नहीं सकता
समंदर अश्कों का,पी नहीं सकता
ज़ख्म इतने कुरेदे हैं इन वफ़ादारों ने
ग़र भरना भी चाहूं तो भर नही सकता!!
मेरे आंसू तेरा दामन जला के छोड़ेंगे
तुमको रस्ते का इक पत्थर बनाके छोड़ेंगे
भूलना चाहो भी,मुझको ना भूल पाओगे
दुआ भी और इससे ज्यादा दे नहीं सकता
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रात:9:30 बजे 28/04/2018
ख्वाब पलकों पे सज नहीं पाते!
जाने किस मोड़ पे लाई जिंदगी हमको
अंधेरा छाया है,रस्ते नज़र नहीं आते!
दर्द इतना है की कह नहीं सकता
समंदर अश्कों का,पी नहीं सकता
ज़ख्म इतने कुरेदे हैं इन वफ़ादारों ने
ग़र भरना भी चाहूं तो भर नही सकता!!
मेरे आंसू तेरा दामन जला के छोड़ेंगे
तुमको रस्ते का इक पत्थर बनाके छोड़ेंगे
भूलना चाहो भी,मुझको ना भूल पाओगे
दुआ भी और इससे ज्यादा दे नहीं सकता
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रात:9:30 बजे 28/04/2018
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