दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Wednesday, August 22, 2018

ह्रर जर्रे -जर्रे में उसकी
रहमत का नूर बरसता है
उसपे मेहर हो जाती जो
उसके द्वार सिसकता है
वो तो देने को बैठा है
जो चाहो वो मांगो तुम
वो तो तेरी नियत देखता
और हर बात समझता है
एक बार भिखारी बन जाओ
दर जाओ सवाली बन करके
और करो गुनाहों से तौबा
वो तुझपे करम बख्शता है
वो मालिक सारी दुनिया का
पर प्रेम का भूखा है लेकिन
मीरा की तरह गर प्रेम करो
तो तुमपे जान छिड़कता है
ग़र स्वयं तुम्हें अनुभव करना
हर कण में उसे महसूस करो
वो अदभुत,और अलौकिक है
उससे संसार महकता है
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
८अगस्त २०१४, रातः११ बजे

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