दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Thursday, July 17, 2014

बहुत दिनों से सोच
रहा था एक अनोखी बात
क्यों औरत ही मांग भरे
और व्रत रखे दिन रात
व्रत रखे दिन रात
पति कैसा भी पाया
क्यों पति को परमेश्वर माना
क्यों सर्वस्व लुटाया
नारी जनम पुरुष को देती
तिरस्कार भी पाती
सारी पीड़ा को सह लेती
पर कुछ न कह पाती
पर नारी को देख पुरुष
जब मन ही मन मुस्काये
अपने पौरुष पर इतरा कर
छेड़छाड़ कर जाये
नारी अगर करे ऐसा तो
घोर पाप कहलाये
जाने किसने इस समाज में.
ऐसे नियम बनाये
नारी नहीं मोम की गुड़िया
वह बलशाली है
वक्त पड़े तो बने सिंहनी
वो दुर्गा काली है

      ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
       १६ जुलाई २०१४, प्रातः१०बजे

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