तेरी यादों के मंज़र अब मेरी आखों मे रहते हैं
ये तो वक्त और हालात थे की दूर हो गए
तेरी सांसे मेरे सीने में अब भी यूं धड़कती हैं
कि तुमसे क्या बतायें किस कदर मजबूर हो गए
बिछुड़के तुमसे, किस क्रद परेशान हम भी हैं
किसी का नाम लेता हूं ,तुम्हारा नाम आता है
तुम्हारे अक्स को जेहन से अपने जब मिटाता हूं
उमड़के फिर वो जेहन से मेरी आखें भिगाता है
ना जिंदा हूं ना मरता हूं,पडी मंझधार में सांसे
तड़पता हूं,मचलता हूं,कभी मैं छटपटाता हूं
कि अबतो आइने से इस क्रद डरने लगा हूं
मैं अपनेआप से ही ह्रर समय नज़रें चुराता हूं
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
९ जून २०१४, रात११
ये तो वक्त और हालात थे की दूर हो गए
तेरी सांसे मेरे सीने में अब भी यूं धड़कती हैं
कि तुमसे क्या बतायें किस कदर मजबूर हो गए
बिछुड़के तुमसे, किस क्रद परेशान हम भी हैं
किसी का नाम लेता हूं ,तुम्हारा नाम आता है
तुम्हारे अक्स को जेहन से अपने जब मिटाता हूं
उमड़के फिर वो जेहन से मेरी आखें भिगाता है
ना जिंदा हूं ना मरता हूं,पडी मंझधार में सांसे
तड़पता हूं,मचलता हूं,कभी मैं छटपटाता हूं
कि अबतो आइने से इस क्रद डरने लगा हूं
मैं अपनेआप से ही ह्रर समय नज़रें चुराता हूं
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
९ जून २०१४, रात११
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