दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Tuesday, July 15, 2014

तेरी यादों के मंज़र अब मेरी आखों मे रहते हैं
ये तो वक्त और हालात थे की दूर हो गए
तेरी सांसे मेरे सीने में अब भी यूं धड़कती हैं
कि तुमसे क्या बतायें किस कदर मजबूर हो गए
बिछुड़के तुमसे, किस क्रद परेशान हम भी हैं
किसी का नाम लेता हूं ,तुम्हारा नाम आता है
तुम्हारे अक्स को जेहन से अपने जब मिटाता हूं
उमड़के फिर वो जेहन से मेरी आखें भिगाता है
ना जिंदा हूं ना मरता हूं,पडी मंझधार में सांसे
तड़पता हूं,मचलता हूं,कभी मैं छटपटाता हूं
कि अबतो आइने से इस क्रद डरने लगा हूं
मैं अपनेआप से ही ह्रर समय नज़रें चुराता हूं

ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
९ जून २०१४, रात११

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