दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Tuesday, July 15, 2014

पीड़ा में कितना आंनद मुझे आता है 
मन का बोझ छलक,आंखों से बह जाता है 
जब जब कोई घाव हदय में रिसता है 
जेहन में तेरा ही अक्स उभर आता है 
याद करो वो दिन,जब साथ चले थे हम
वो लम्हा कितना सुकून सा दे जाता है 
वो शरमाना,वो इतराना,वो तेरा हंसना
यादों के दर्पण में ये सब,साफ नज़र आता है 
कितना बेबस वक्त के आगे,हम मजबूर हुए
बस करता हूं अब लिखना,न और लिखा जाता है

ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
३०जून २०१४ रात १०.५०

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