दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Tuesday, July 15, 2014

कल क्या होगा पता नहीं ?
मैं तो केवल आज जी रहा, कल क्या होगा पता नहीं
किस रास्ते मुड़ जाये ज़िंदगी कल क्या होगा पता नहीं!!
जोड़-तोड़ में आज लगा हूँ, तिनका-तिनका जोड़ रहा
कब छ्प्पर उड़ जाये मेरा, कल क्या होगा पता नहीं!!
जाने कितनी सुबह गुज़र गई, और कितनी ही शाम ढली
फ़िर क्या नया सवेरा होगा, कल क्या होगा पता नहीं !!
क्या जाने कितना चलना है , दूरी कितनी बाकी है
दौड़ सको तो आज दौड़ लो, कल क्या होगा पता नहीं !!
चेहरे को शीशे में देखो , पर इतना इतराओ मत
कितनी झुर्री साफ़ दिखेगी, कल क्या होगा पता नहीं !!
मैं “मुफ़लिस” दुनिया में आया,और “मुफ़लिस” ही जाउँगा
“मुफ़लिस” जीवन रहा हमारा, कल क्या होगा पता नहीं!!

ॠषि राज शंकर“मुफ़लिस”
14/04/2013

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