दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Tuesday, July 15, 2014

मोहब्बत की परिभाषा तुम्हे सिखला रहा हूं मैं
ग़मों का ये समंदर है,तुम्हे बतला रहा हूं मैं 
कई डूबे,कई उतरे,कई साहिल पे दम तोडे
ये उल्फत की हकीक़त है,तुम्हे दिखला रहा हूं मैं 
जुबां खामोश इसमें हो,अधर भी थरथराते हैं
निगाहें डबडबाती हैं, समंदर सूख जाते हैं 
ये ऐसा रोग है जिसका पता देरी से चलता है
न कुछ कहने को बचता है, न कुछ सुनने को पाते है 
कभी हम भी मोहब्बत का तराना गुनगुनाते थे
मोहब्बत है अजब अहसास दुनिया को बताते थे
मग़र अब हाल ऐसा है, न जीते है, न मरते हैं
कहीं जिक्र ए मोहब्बत हो तो दामन को बचाते है
बहुत मजबूर दिल से हो,मोहब्बत में उतर जाओ
लुटा दो अपने दिल का चैन,दीवाने से बन जाओ
न हासिल कुछ तुम्हें होगा,ये 'मुफलिस'की नसीहत है
कहानी अनकहे शब्दों की मत बेकार दोहराओ

ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
५ जुलाई २०१४, प्रातः८ बजे

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