तीन अक्षर का शब्द जुदाई,
कितनी पीड़ा दे जाता है
आंख अश्क से भर जाती है
गला रुंध कर भर आता है
फिर तन्हाई जन्म लेती है
रातों में सिसकारी भर के
आंखों से आंसू का दरिया
पानी बनकर बह जाता है
खामोशी की चादर ओढे
हर रात अमावस लगती है
जब पूनम का चांद बहक के
बादल में छिप जाता है
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
२६ जून २०१४ रात ११.४५
कितनी पीड़ा दे जाता है
आंख अश्क से भर जाती है
गला रुंध कर भर आता है
फिर तन्हाई जन्म लेती है
रातों में सिसकारी भर के
आंखों से आंसू का दरिया
पानी बनकर बह जाता है
खामोशी की चादर ओढे
हर रात अमावस लगती है
जब पूनम का चांद बहक के
बादल में छिप जाता है
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
२६ जून २०१४ रात ११.४५
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